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Kochi Fort: A journey that will take you to the past Attractive 2024 | कोच्चि का किला: एक यात्रा जो आपको अतीत में ले जाएगी

Kochi Fort  “नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे चैनल में, जहाँ हम आपको लेकर चलते हैं भारत के अद्भुत स्थलों की सैर पर। आज हम आपको ले चलेंगे कोच्चि के किले की सैर पर।“दोस्तों, मैं हूँ [सुनील अठवाल] और आज हम जानेंगे कोच्चि के किले के इतिहास, संस्कृति और यहाँ की खूबसूरती के बारे में। तो चलिए, शुरू करते हैं!”

 “कोच्चि का किला, जिसे फोर्ट कोच्चि के नाम से भी जाना जाता है, केरल राज्य के कोच्चि शहर में स्थित है। यह किला भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और इसकी स्थापना 1503 में पुर्तगालियों द्वारा की गई थी।” “यह किला भारतीय उपमहाद्वीप में यूरोपीय उपनिवेशों की शुरुआत का प्रतीक है। यहाँ पर पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश शासन की छाप साफ देखी जा सकती है।”

 “दोस्तों, Kochi यह किला सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल ही नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और वास्तुकला का एक अद्भुत संगम भी है। यहाँ की गलियाँ और इमारतें उस दौर की यादें ताज़ा कर देती हैं।” “फोर्ट कोच्चि की वास्तुकला में भारतीय और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है। यहाँ के सेंट फ्रांसिस चर्च, जो भारत का सबसे पुराना यूरोपीय चर्च है, से लेकर इंडो-यूरोपियन घरों तक, सब कुछ इतिहास की एक झलक प्रस्तुत करते हैं।”

“नमस्कार! Kochi का किला अपने आप में एक जीवंत संग्रहालय है। पुर्तगालियों के बाद यहाँ डच और फिर अंग्रेजों का शासन रहा, और हर शासन ने यहाँ अपनी छाप छोड़ी है।”“फोर्ट कोच्चि केवल इतिहास में ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति में भी समृद्ध है। यहाँ के पारंपरिक नृत्य कथकली का आनंद लेना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है।”“और हाँ दोस्तों, यहाँ का खाना भी कमाल का है! यहाँ के समुद्री भोजन का स्वाद लेना ना भूलें।”

 

कोच्चि का किला: एक ऐतिहासिक परिचय | Kochi Fort: A Historical Introduction

केरल के कोच्चि शहर में स्थित, कोच्चि का किला (फोर्ट कोच्चि) भारत के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली यात्रियों द्वारा निर्मित यह किला, समय के साथ डच और ब्रिटिश शासकों के अधीन भी रहा। इस किले की स्थापत्य शैली और ऐतिहासिक महत्व आज भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

प्रारंभिक इतिहास:

Kochi का किला, जिसे “फोर्ट कोच्चि” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के केरल राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था, और बाद में डच और अंग्रेजों के शासन में रहा। यह किला अरब सागर के तट पर स्थित है, और यह सदियों से मसाले व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

पुर्तगाली शासन (1503-1663):

1503 में, पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को द गामा भारत पहुंचे और उन्होंने कोच्चि में एक व्यापारिक चौकी स्थापित की। उन्होंने किले का निर्माण 1505 में शुरू किया, और यह जल्दी ही क्षेत्र में पुर्तगाली शक्ति का केंद्र बन गया। पुर्तगालियों ने मसाले व्यापार पर नियंत्रण स्थापित किया, और उन्होंने ईसाई धर्म को भी बढ़ावा दिया।

डच शासन (1663-1795):

1663 में, डचों ने पुर्तगालियों को हरा दिया और Kochi पर कब्जा कर लिया। उन्होंने किले का विस्तार किया और इसे मजबूत बनाया। डचों ने मसाले व्यापार पर अपना प्रभुत्व बनाए रखा, और उन्होंने कला और संस्कृति को भी प्रोत्साहित किया।

अंग्रेजी शासन (1795-1947):

1795 में, अंग्रेजों ने डचों को हरा दिया और Kochi पर कब्जा कर लिया। उन्होंने किले का इस्तेमाल एक सैन्य अड्डे के रूप में किया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1947 में, कोच्चि भारत का हिस्सा बन गया।

आज का किला:

आज, Kochi का किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें पुर्तगाली और डच शासन काल के चर्च, किले और घर शामिल हैं। किले में कई संग्रहालय और कला दीर्घाएं भी हैं। यह किला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है, और यहां से अरब सागर के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं।

किले के कुछ प्रमुख आकर्षण:

कोच्चि किले का स्थापत्य और संरचना | Architecture and Structure of Kochi Fort

पुर्तगाली प्रभाव:

कोच्चि किले का स्थापत्य पुर्तगाली और डच वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है। पुर्तगाली शासनकाल (1503-1663) के दौरान, किले का निर्माण लाल ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया था। इसमें मोटी दीवारें, गोल बुर्ज और कई द्वार थे। किले में एक बड़ा केंद्रीय आंगन भी था, जिसके चारों ओर चर्च, घर और सरकारी भवन थे।

डच प्रभाव:

डच शासनकाल (1663-1795) के दौरान, किले का विस्तार और मजबूती की गई। डचों ने किले में कई नई इमारतें भी बनाईं, जिनमें शामिल हैं:

डचों ने किले के किलेबंदी में भी सुधार किया। उन्होंने किले के चारों ओर एक गहरी खाई खोदी और कई नए तोपखाने emplacements जोड़े।

किले की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

बास्को डी गामा स्क्वायर, कोच्चि | Basco Da Gama Square, Kochi

बास्को डी गामा स्क्वायर, Kochi शहर के केंद्र में स्थित एक ऐतिहासिक चौक है। इसका नाम पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को डी गामा के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1498 में भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी। यह चौक 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था, और यह सदियों से शहर का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

स्क्वायर कोच्चि के कई ऐतिहासिक स्थलों का घर है, जिनमें शामिल हैं:

  • सेंट फ्रांसिस चर्च: यह चर्च 1503 में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था। यह भारत के सबसे पुराने यूरोपीय चर्चों में से एक है।
  • डच पैलेस: यह महल 17वीं शताब्दी में डचों द्वारा बनाया गया था। यह अब एक संग्रहालय है जिसमें पुरातात्विक अवशेष और कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
  • मैट्टनचेरी पैलेस: यह महल 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था। यह अब एक संग्रहालय है जिसमें पुरातात्विक अवशेष और कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
  • पारदेशी सिнагоग: यह आराधनालय 16वीं शताब्दी में यहूदी व्यापारियों द्वारा बनाया गया था। यह भारत के सबसे पुराने यहूदी आराधनालयों में से एक है।

स्क्वायर कई दुकानों, रेस्तरां और कैफे का भी घर है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अपनी ऐतिहासिक महत्व और जीवंत वातावरण के लिए जाना जाता है।

बास्को डी गामा स्क्वायर जाने के लिए कुछ सुझाव:

  • स्क्वायर सुबह जल्दी या देर शाम को घूमने के लिए सबसे अच्छा है, जब भीड़ कम होती है।
  • आरामदायक जूते पहनना सुनिश्चित करें, क्योंकि आपको काफी चलना होगा।
  • स्क्वायर में कई दुकानें और रेस्तरां हैं, इसलिए आप खरीदारी और भोजन के लिए कुछ समय देना चाह सकते हैं।
  • स्क्वायर कई ऐतिहासिक स्थलों का घर है, इसलिए इतिहास के बारे में अधिक जानने के लिए कुछ समय निकालें।

सेंट फ्रांसिस चर्च, कोच्चि | St. Francis Church, Kochi

एक ऐतिहासिक धरोहर

सेंट फ्रांसिस चर्च, कोच्चि भारत के सबसे पुराने यूरोपीय चर्चों में से एक है। यह 1503 में पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को द गामा के आगमन के बाद बनाया गया था। चर्च को मूल रूप से लकड़ी से बनाया गया था, लेकिन 1560 में इसे पत्थर से फिर से बनाया गया था।

वास्तुशिल्प महत्व:

यह चर्च अपनी वास्तुकला शैली के लिए जाना जाता है, जो गोथिक और फ्लेमिश शैलियों का मिश्रण है। चर्च में एक विशाल आयताकार हॉल, एक ऊँचा घंटाघर और कई नक्काशीदार मेहराब और खिड़कियां हैं। चर्च के अंदर, कई भित्ति चित्र और मूर्तियां हैं जो धार्मिक दृश्यों को दर्शाती हैं।

ऐतिहासिक महत्व:

सेंट फ्रांसिस चर्च का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन का प्रतीक है, और यह कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। 1524 में, प्रसिद्ध पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को द गामा की मृत्यु के बाद, उनके अवशेषों को चर्च में दफनाया गया था। 1663 में, डचों ने पुर्तगालियों को हरा दिया और कोच्चि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने चर्च पर कब्जा कर लिया और इसे प्रोटेस्टेंट चर्च में बदल दिया। 1795 में, अंग्रेजों ने डचों को हरा दिया और कोच्चि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने चर्च को वापस एंग्लिकन चर्च में बदल दिया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, चर्च को चर्च ऑफ साउथ इंडिया के अधीन कर दिया गया।

आज का चर्च:

आज, सेंट फ्रांसिस चर्च एक सक्रिय चर्च और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह अपनी वास्तुकला, इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। चर्च हर दिन जनता के लिए खुला रहता है, और प्रार्थना सेवाएं नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं। चर्च में एक संग्रहालय भी है जो चर्च के इतिहास और भारत में ईसाई धर्म के इतिहास को दर्शाता है।

यहां सेंट फ्रांसिस चर्च जाने के कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • चर्च सुबह जल्दी या देर शाम को घूमने के लिए सबसे अच्छा है, जब भीड़ कम होती है।
  • आरामदायक जूते पहनना सुनिश्चित करें, क्योंकि आपको थोड़ा चलना होगा।
  • चर्च में प्रवेश करने के लिए मामूली शुल्क है।
  • फोटोग्राफी की अनुमति केवल चर्च के बाहरी हिस्सों में है।
  • चर्च एक सक्रिय पूजा स्थल है, इसलिए विनम्रता से कपड़े पहनें और शांत रहें।

डच महल, कोच्चि | Dutch Palace, Kochi

मिश्रित संस्कृतियों का संगम

डच महल, जिसे मट्टनचेरी पैलेस भी कहा जाता है, कोच्चि, भारत में स्थित एक ऐतिहासिक महल है। यह 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था, और बाद में डचों ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। यह महल अपनी अनूठी वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, जो पुर्तगाली, डच और भारतीय संस्कृतियों का मिश्रण दर्शाता है।

वास्तुकला:

डच महल लकड़ी और पत्थर से बना एक द्वी-मंजिला महल है। इसकी वास्तुकला शैली पुर्तगाली, डच और भारतीय तत्वों का मिश्रण है। महल में लाल रंग की टाइल वाली छतें, नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और खिड़कियां, और रंगीन भित्ति चित्र हैं। महल के अंदर कई कमरे हैं, जिनमें दरबार हॉल, शयनकक्ष, और पूजा स्थल शामिल हैं।

इतिहास:

1555 में, पुर्तगालियों ने Kochi के राजा को उपहार के रूप में यह महल बनाया था। 1663 में, डचों ने पुर्तगालियों को हरा दिया और कोच्चि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने महल का जीर्णोद्धार करवाया और इसे अपना निवास स्थान बना लिया।

डचों ने महल में कई नए कमरे और सुविधाएं जोड़ीं, और उन्होंने इसकी वास्तुकला में भी कुछ बदलाव किए। 1795 में, अंग्रेजों ने डचों को हरा दिया और कोच्चि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने महल का इस्तेमाल सरकारी कार्यालयों के रूप में किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, महल को भारत सरकार ने अपने अधीन कर लिया। 1951 में, इसे संग्रहालय में बदल दिया गया।

आज का महल:

आज, डच महल केरल पुरातत्व विभाग द्वारा संचालित एक लोकप्रिय संग्रहालय है। यह 17वीं और 18वीं शताब्दी की कलाकृतियों और पुरावशेषों का एक विस्तृत संग्रह प्रदर्शित करता है। संग्रहालय में चित्रों, मूर्तियों, हथियारों, गहनों, और घरेलू सामानों का संग्रह शामिल है। संग्रहालय में भित्ति चित्रों के लिए भी जाना जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक दृश्यों को दर्शाते हैं।

यहां डच महल जाने के कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • महल सुबह 9:30 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
  • प्रवेश शुल्क ₹50 है।
  • महल में एक कैफे और एक स्मारिका दुकान है।
  • महल में फोटोग्राफी की अनुमति है।
  • महल एक ऐतिहासिक स्थल है, इसलिए कृपया सम्मानपूर्वक व्यवहार करें।

सांस्कृतिक धरोहर

Kochi का किला केवल स्थापत्य और ऐतिहासिक धरोहर तक सीमित नहीं है। यहाँ की सांस्कृतिक विरासत भी अत्यंत समृद्ध है। किले के आसपास कई कला दीर्घाएँ, संग्रहालय और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। कोच्चि-मुज़िरिस बिनाले एक प्रमुख कला उत्सव है, जो हर दो साल में आयोजित होता है और विश्व भर के कलाकारों को आकर्षित करता है।

कोच्चि के स्थानीय बाजार और व्यंजन | Local Markets and Cuisine of Kochi

Kochi भारत के केरल राज्य में स्थित एक खूबसूरत तटीय शहर है। यह अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और स्वादिष्ट भोजन के लिए जाना जाता है। कोच्चि में कई स्थानीय बाजार हैं जहाँ आप ताज़ी उपज, मसाले, मछली और अन्य स्थानीय उत्पाद खरीद सकते हैं। शहर में कई रेस्तरां भी हैं जो केरल के पारंपरिक व्यंजनों के साथ-साथ अन्य भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजन परोसते हैं।

यहाँ कोच्चि के कुछ सबसे लोकप्रिय स्थानीय बाजार हैं:

  • मट्टनचेरी मार्केट: यह बाजार ताज़ी उपज, मसाले, मछली और मांस के लिए प्रसिद्ध है। आप यहां पारंपरिक केरल के हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह भी खरीद सकते हैं।

    Mattancherry Market, Kochi

     

  • जोशीमार्केट: यह बाजार सोने और चांदी के गहनों के लिए प्रसिद्ध है। आप यहां कपड़े, जूते और अन्य सामान भी खरीद सकते हैं।

  • फिश मार्केट: यह बाजार विभिन्न प्रकार की ताज़ी मछली और समुद्री भोजन के लिए प्रसिद्ध है। आप यहां जीवित केकड़े, झींगे और मछली भी खरीद सकते हैं।

    Fish Market, Kochi

     

यहाँ कोच्चि के कुछ सबसे लोकप्रिय स्थानीय व्यंजन हैं:

  • अप्पम: ये चावल के पैनकेक हैं जिन्हें नारियल के दूध और खमीर से बनाया जाता है। इन्हें अक्सर करी या चटनी के साथ परोसा जाता है।

  • इडली: ये चावल और उड़द की दाल से बने स्टीम्ड केक हैं। इन्हें अक्सर करी या चटनी के साथ परोसा जाता है।

  • डोसा: यह एक पतली कुरकुरी चावल और उड़द की दाल की पैनकेक है। इसे अक्सर आलू या मसूर की दाल से भरी हुई परोसा जाता है।

  • केरल फिश करी: यह एक नारियल के दूध आधारित करी है जिसे विभिन्न प्रकार की मछलियों के साथ बनाया जाता है।

  • चिकन स्टू: यह एक नारियल के दूध आधारित स्टू है जिसे चिकन, मसालों और सब्जियों के साथ बनाया जाता है।

  • अप्पम: ये चावल के पैनकेक हैं जिन्हें नारियल के दूध और खमीर से बनाया जाता है। इन्हें अक्सर करी या चटनी के साथ परोसा जाता है।

कोच्चि घूमने और स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेने के लिए एक शानदार शहर है। यदि आप कभी केरल जाते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आप इनमें से कुछ बाजारों और रेस्तरां में से एक का दौरा करें।

कोच्चि, भारत की यात्रा के लिए सुझाव | Tips for traveling to Kochi, India

कोच्चि, भारत के केरल राज्य में स्थित एक खूबसूरत तटीय शहर है। यह अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और स्वादिष्ट भोजन के लिए जाना जाता है। यदि आप कोच्चि की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

कब जाना है

कोच्चि घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, जब मौसम सुहावना होता है। अप्रैल से मई तक गर्मी और उमस हो सकती है, और जून से सितंबर तक मानसून का मौसम होता है।

कहां ठहरना

कोच्चि में सभी बजट के लिए कई प्रकार के आवास विकल्प उपलब्ध हैं। आप फोर्ट कोच्चि के ऐतिहासिक केंद्र में एक लक्जरी होटल में रह सकते हैं, या आप मरीन ड्राइव या विमनपल्ली जैसे क्षेत्रों में अधिक किफायती विकल्प पा सकते हैं।

क्या करें

  • फोर्ट कोच्चि के ऐतिहासिक केंद्र की यात्रा करें। फोर्ट कोच्चि पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अवशेष है। इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें सेंट फ्रांसिस चर्च, डच पैलेस और पैरदेशी सिनेगॉग शामिल हैं।

  • हाउसबोट क्रूज पर जाएं। हाउसबोट क्रूज कोच्चि बैकवाटर्स का पता लगाने का एक शानदार तरीका है। ये पारंपरिक लकड़ी की नावें अब आरामदायक आवास और सुविधाओं से सुसज्जित हैं।

    Houseboat Cruise, Kochi

     

  • मसाले के बागानों की यात्रा करें। कोच्चि मसालों के व्यापार का एक ऐतिहासिक केंद्र रहा है। आप क्षेत्र में कई मसाले के बागानों की यात्रा कर सकते हैं और मसालों की खेती और कटाई के बारे में जान सकते हैं।

जहां सूर्य किरणें विष्णु से मिलती हैं

  • कोच्चि के स्वादिष्ट भोजन का आनंद लें। केरल व्यंजन अपने नारियल के दूध और मसालों के उपयोग के लिए जाना जाता है। कोच्चि में कई रेस्तरां हैं जो पारंपरिक केरल के व्यंजनों के साथ-साथ अन्य भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजन परोसते हैं।

  • अलाप्पुझा में बैकवाटर्स पर जाएं। अलाप्पुझा, जिसे “पूर्व का वेनिस” भी कहा जाता है, कोच्चि से एक घंटे की ड्राइव दूर है। यह अपने सुंदर बैकवाटर्स के लिए प्रसिद्ध है, जो नाव से घूमने के लिए एकदम सही हैं।

यात्रा युक्तियाँ

  • कोच्चि में घूमने का सबसे अच्छा तरीका पैदल चलकर या साइकिल चलाकर है। शहर अपेक्षाकृत छोटा है और इसमें कई पैदल यात्री और साइकिल चलाने वाले अनुकूल सड़कें हैं।
  • यदि आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लेने की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप मीटर पर यात्रा करते हैं।
  • कोच्चि में मौसम गर्म और आर्द्र हो सकता है, इसलिए हल्के ढीले-ढाले कपड़े पहनना सुनिश्चित करें।
  • सनस्क्रीन, टोपी और धूप का चश्मा पहनना न भूलें।
  • कोच्चि में कई मच्छर हैं, इसलिए मच्छर प्रतिरोधी लाना सुनिश्चित करें।
  • भारतीय रुपये में कुछ नकदी रखना सुनिश्चित करें, क्योंकि सभी जगहें क्रेडिट कार्ड स्वीकार नहीं करती हैं।

conclusion:-

तो दोस्तों, यह थी कोच्चि के किले की एक झलक। आशा है आपको यह यात्रा पसंद आई होगी। अगर हाँ, तो हमारे चैनल को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें। अगले एपिसोड में हम आपको लेकर चलेंगे एक और रोमांचक सफर पर।”

 “तब तक के लिए, अलविदा और यात्रा का आनंद लेते रहें!”

इस तरह की और अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट Shri Village पर विजिट करते रहें

FQA:-

 

1. मट्टनचेरी पैलेस का महत्व क्या है?

17वीं शताब्दी: डचों द्वारा निर्मित, भारत के सबसे पुराने डच महलों में से एक नक्काशीदार लकड़ी और पत्थर का काम, भित्ति चित्र, कलाकृतियांडच शासन के इतिहास का संग्रहालय

2. वास्को द गामा स्क्वायर का इतिहास क्या है?

16वीं शताब्दी: पुर्तगालियों द्वारा निर्मित पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को द गामा के नाम परसेंट फ्रांसिस चर्च, डच पैलेस, पैरदेशी सिनेगॉग जैसे ऐतिहासिक स्थल

3. सेंट फ्रांसिस चर्च के बारे में क्या?

1503: पुर्तगालियों द्वारा निर्मित, भारत के सबसे पुराने यूरोपीय चर्चों में से एक गोथिक वास्तुकला, भित्ति चित्रसक्रिय चर्च और लोकप्रिय पर्यटन स्थल

4. डच पैलेस (मट्टनचेरी पैलेस) किस लिए जाना जाता है?

नक्काशीदार लकड़ी और पत्थर का काम, भित्ति चित्र, कलाकृतियांडच शासन के इतिहास का संग्रहालय

5. मैं Kochi में संस्कृतियों के मिश्रण का अनुभव कहाँ कर सकता हूँ?

स्थानीय बाजार: मट्टनचेरी मार्केट, जोशी मार्केट ताज़ी उपज, मसाले, मछली, मांस, हस्तशिल्प, स्मृति चिन्ह

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